International Women’s Day 2024: महिला दिवस सेलिब्रेट कीजिए, पर अपने हक के लिए लड़ना भी सीखें
International Women’s Day 2024: अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस 8 मार्च को ही क्यों सेलिब्रेट किया जाता है। भारत में भी महिलाओं को बहुत सारे अधिकार दिए गए हैं। भारत में रहने वाली महिलाओं को अपने इन अधिकारों की जानकारी होनी चाहिए। यहां जानिए ऐसे 5 अधिकार दिए गए है जिसकी तमाम महिलाओं को जानकारी ही नहीं है।
International Women’s Day 2024: माना जाता है कि समाज के निर्माण में जितनी बड़ी भूमिका पुरुषों की होती है, लेकिन असल में उतनी ही महिलाओं की भी होती है, लेकिन फिर भी महिलाओं को वो दर्जा नहीं मिल पाता जिसकी वो हकदार हैं। समाज में महिलाओं के योगदान को उजागर करने और उन्हें उनके अधिकारों के बारे में जागरूक करने के मकसद से हर साल अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस (International Women’s Day) मनाया जाता है। अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस वास्तव में एक मजदूर आंदोलन की उपज है। इसकी शुरुआत साल 1908 में तब हुई थी, जब अमेरिका के न्यूयॉर्क शहर में करीब 15 हजार महिलाएं अपने हक के लिए सड़कों पर उतरी थीं।
साल 1911 में ऑस्ट्रिया, डेनमार्क, जर्मनी और स्विटज़रलैंड में पहली बार महिला दिवस मनाया गया और 1975 को संयुक्त राष्ट्र ने अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस को आधिकारिक तौर पर मान्यता दी और इसे मनाने के लिए 8 मार्च की तिथि निर्धारित की। तब से हर साल अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस 8 मार्च को ही सेलिब्रेट किया जाता है। भारत में भी महिलाओं को बहुत सारे अधिकार दिए गए हैं। भारत में रहने वाली महिलाओं को अपने इन अधिकारों की जानकारी होनी चाहिए। यहां जानिए ऐसे 5 अधिकार दिए गए है जिसकी तमाम महिलाओं को जानकारी ही नहीं है।
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International Women’s Day 2024 पर जानें महिलाओं का पहला अधिकार: समान वेतन पाने के अधिकार
एक समय था जब भारत में महिलाओं की भूमिका सिर्फ घर के अंदर तक सीमित थी, लेकिन आज के समय में महिलाएं कामकाजी हैं और हर क्षेत्र में पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रही हैं। Equal Remuneration Act के अनुसार महिलाओं को पुरुषों के समान ही वेतन पाने का अधिकार दिया गया है। मेहनताने को लेकर जेंडर के आधार पर भेदभाव नहीं किया जा सकता।
महिलाओं का दूसरा अधिकार अर्जित संपत्ति का अधिकार
संपति से संबंधित एक अधिकार होता है कि महिला ने अगर खुद कोई संपत्ति अर्जित की है तो कानूनन उसे ये अधिकार है कि वो जब चाहे अपनी संपत्ति को बेच सकती है या अगर किसी के नाम करना चाहे तो कर सकती है। उसके फैसलों में दखल देने का अधिकार किसी को भी नहीं है। महिला चाहे तो उस संपत्ति से बच्चों को बेदखल भी कर सकती है।
घरेलू हिंसा से सुरक्षा का अधिकार
सरकार ने घर में रह रही कोई भी महिला जैसे मां, पत्नी या बहन आदि को घरेलू हिंसा से बचाने के लिए ये कानून बनाया गया है। अगर किसी महिला के साथ उसका पति, लिव इन पार्टनर या कोई रिश्तेदार घरेलू हिंसा करता है तो महिला या उसकी ओर से कोई भी शिकायत दर्ज करा सकता है।
कार्यस्थल पर उत्पीड़न से सुरक्षा
महिला कहीं पर कार्य कर रही हो और अगर किसी महिला के साथ उसके ऑफिस में या किसी भी कार्यस्थल पर शारीरिक या मानसिक उत्पीड़न किया जाता है, तो उत्पीड़न करने वाले आरोपी के खिलाफ महिला शिकायत दर्ज कर सकती है। इस कानून के तहत, महिला 3 महीने की अवधि के भीतर ब्रांच ऑफिस में इंटरनल कंप्लेंट कमेटी (ICC) को लिखित शिकायत दे सकती है।
पुश्तैनी संपत्ति पर अधिकार
पहले केवल बेटों को ही पुश्तैनी संपत्ति पर प्रॉपर्टी में अधिकार मिलता था। ऐसा माना जाता था कि शादी के बाद महिला अपने पति की संपत्ति से जुड़ जाती है और उस संपत्ति में उसका अधिकार हो जाता है। लेकिन अब ऐसा नहीं है। हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम के तहत नए नियमों के आधार पर अब पुश्तैनी संपत्ति पर महिला और पुरुष दोनों को बराबर हक दिया जाता है।
मातृत्व संबन्धी अधिकार (International Women’s Day 2024)
आज के समय में ज्यादातर महिलाएं कामकाजी हैं, ऐसे में कामकाजी महिलाओं को मातृत्व संबन्धी कुछ अधिकार दिए गए हैं। मातृत्व लाभ अधिनियम के तहत एक नई मां के प्रसव के बाद 6 महीने तक महिला के वेतन में कोई कटौती नहीं की जाती और वो फिर से काम शुरू कर सकती हैं।