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IAF Missing Plane: एयरफोर्स का 8 साल पुराना लापता प्लेन समंदर में मिला, जानिए पुरा रहस्य

IAF Missing Plane: प्लेन हादसे अक्सर सभी ने सुने होते है लेकिन कभी-कभी पता ही नहीं चलता कि प्लेन का क्या हुआ। आपको MH-370 का केस हमें याद है। ऐसा ही भारतीय वायुसेना के एक प्लेन के साथ हुआ। 8 साल बाद एक मशीन की मदद से 29 परिवारों को पता चला कि उनके अपनों के साथ क्या हुआ था।

IAF Missing Plane: 22 जुलाई 2016 की तारीख भारतीय वायुसेना के सबसे भरोसेमंद परिवहन विमानों में से एक An-32 चेन्नई के तांबरम एयरबेस से पोर्ट ब्लेयर के लिए उड़ान भरता है । कुछ देर बाद ही यह लापता हो गया। K-2743 रजिस्ट्रेशन नंबर वाले इस प्लेन में कुल 29 कर्मचारी बैठे थे। व्यापक तलाशी अभियान शुरू हुआ लेकिन न तो विमान का पता चला और न ही कोई मलबा समंदर की सतह पर दिखाई दिया। 8 साल तक यह प्लेन रहस्य बना रहा। पिछले महीने यह गुत्थी सुलझी जब लापता एयरक्राफ्ट का मलबा हाथ लगा है ।

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IAF Missing Plane: 3.4 किमी गहराई में मिली एक चीज

आपको सुनकर हैरानी होगी लेकिन हिंद महासागर में चेन्नई तट के पास 3.4 किमी की गहराई में प्लेन के मलबे की पहचान हुई। यह जानकारी न सिर्फ 29 परिवारों के लिए महत्वपूर्ण थी बल्कि इसने समंदर की गहराई में खोजने की भारत की क्षमता का भी प्रदर्शन किया। राष्ट्रीय महासागर प्रौद्योगिकी संस्थान (NIOT) को यह सफलता मिली थी।

NDTV ने इस मिशन में शामिल वैज्ञानिकों से बात की तो पता चला कि मलबे के स्थान पर सबमर्सिबल (समंदर के अंदर चलने वाली गाड़ी) कैसे पहुंची थी। NIOT चेन्नई के डायरेक्टर डॉ. जीए रामदास ने बताया, ‘जनवरी की शुरुआत में हम एक वैज्ञानिक अनुसंधान पर काम कर रहे थे जब समुद्र के तल में अप्राकृतिक चीजें दिखीं। करीब जाकर जांच करने से पता चला कि वे एक हवाई जहाज के मलबे से मिलती-जुलती थीं। इसके बाद भारतीय वायुसेना ने पुष्टि की कि यह मलबा 2016 में दुर्घटनाग्रस्त हुए विमान का था।

IAF Missing Plane को नॉर्वे से मिली मशीन से खोजा

  • दरअसल, 2022 में भारत ने नॉर्वे से ओशन मिनरल एक्सप्लोरर (OMe-6000) सबमर्सिबल मशीन खरीदी है, जो समुद्र की सतह से 6,000 मीटर की गहराई में गोता लगा सकती है।
  • यह 6.6 मीटर लंबी, ऑरेंज कलर की गहरे समुद्र में काम करने वाले मानव रहित स्वायत्त पनडुब्बी ही थी जिसने वायुसेना के विमान के मलबे की खोज की।

किसी चमत्कार से कम नहीं

गहरे महासागरीय मिशन का नेतृत्व करने वाले वैज्ञानिक डॉ. एस. रमेश और उनकी टीम ने मशीन के एक परीक्षण के दौरान विमान के मलबे का पता लगाया। यह मिशन बंगाल की खाड़ी में पाए जाने वाले ऊर्जा के एक समृद्ध स्रोत गैस हाइड्रेट्स को बेहतर ढंग से समझने से संबंधित था। रमेश ने कहा, ‘विमान के ब्लैक बॉक्स का पता नहीं चला है। अगर एक टारगेटेड और व्यापक सर्च ऑपरेशन शुरू किया जाता है तो पता लगाया जा सकता है, लेकिन यह एक मुश्किल काम है। ‘

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एक ऐसा ही हादसा आपको याद होगा साल 2014 में 239 लोगों को लेकर जा रहा मलेशिया एयरलाइंस का प्लेन MH370 रहस्यमय तरीके से हिंद महासागर में गायब हो गया था। कई देशों ने मिलकर अभियान चलाया लेकिन कुछ पता नहीं चला। इस लिहाज से देखें तो एएन-32 विमान के मलबे की खोज कुछ मायनों में वैज्ञानिक चमत्कार कही जा सकती है।

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OMe-6000 के बारे में पूरी जानकारी

  • ओएमई-6000 एक मल्टी-रोल वाहन है जो वाणिज्यिक, वैज्ञानिक और रक्षा एप्लीकेशन के लिए उच्च-रिजॉल्यूशन डेटा इकट्ठा कर सकता है।
  • नॉर्वे के शिप मेकर कोंग्सबर्ग का दावा है कि यह Ocean Mineral Explorer बाजार में उपलब्ध सबसे फ्लेक्सिबल AUV है, जो सोनार, मल्टी-बीम इको साउंडर्स, कैमरे, लेजर समेत कई मॉडर्न सेंसर से लैस है।
  • ओएमई-6000 गहरे समुद्र में अनुसंधान की भारत की क्षमताओं के लिए बहुत ही उपयोगी है।
  • 2। 1 टन की यह मशीन भारत के अनुसंधान पोत, सागर निधि से संचालित की जाती है। यह लगभग 15 गोते लगा चुकी है।
  • यह खनिज के हिसाब से समृद्ध पॉली-मेटैलिक नोड्यूल का पता लगाने और गहरे हिंद महासागर की समृद्ध जैव विविधता के बारे में जानकारी उपलब्ध कराने में मदद करेगी।
  • भारत के पास 7,500 किमी लंबा तट है। ऐसे में यह गाड़ी समुद्री संसाधनों का दोहन करने में भारत के लिए काफी उपयोगी साबित हो सकती है।
  • यह मत्स्य-6000 नामक अपनी मानव सबमर्सिबल विकसित कर रहा है।

Kanisha Mathur

कनिशा माथुर जनपत्रिका में डिजिटल कंटेन्ट प्रोड्यूसर के तौर पर कार्यरत हैं। इन्हें ऑटोमोबाईल,टेक्नॉलजी,एंटरटेनमेंट, एजुकेशन जैसे टॉपिक्स पर लिखने का अनुभव है। इनका उद्देश्य आसान शब्दों में लोगों तक हर जानकारी पहुंचाना है। अपने खाली समय में इन्हें म्यूजिक सुनना, लोगों से बातचीत करना और घूमना-फिरना काफी पसंद है। यह नई चीजें सीखने के लिए हमेशा तैयार रहती है।

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