Vishwakarma Jayanti 2024: भगवान विश्वकर्मा जयंती पर ऐसे करें पूजा, जानिए मुहूर्त, पूजा विधि और चालीसा
Vishwakarma Jayanti 2024 Muhurat: हर साल माघ माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन विश्वकर्मा जयंती मनाई जाती है। भगवान विश्वकर्मा ब्रह्मांड के सबसे पहले और सबसे बड़े वास्तुकार माने जाते हैं। आज के दिन मशीनों और औजार की पूजा की जाती है।
Vishwakarma Jayanti 2024: विश्वकर्मा जयंती के दिन भगवान विश्वकर्मा की पूजा के साथ-साथ कुछ उपाय करना बहुत शुभ माना जाता है। कहते हैं ऐसा करने से तरक्की के रास्ते खुलते हैं और काम में आ रही बाधाएं दूर हो जाती है। शास्त्रों के अनुसार भगवान विश्वकर्मा को ब्रह्माण्ड का सबसे पहला शिल्पकार या इंजीनियर माना जाता है। वे भगवानों के शिल्पकार थे, उन्हीं के द्वारा भगवान के अस्त्र-शस्त्र और भवन का निर्माण किया गया था।
माना जाता है कि ऐसा करने से व्यवसाय और कार्य में लोगों को सफलता हासिल होती है। मालूम हो कि माघ शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि 21 फरवरी 2024 को शाम 5 बजे से शुरू हो गई थी और ये 22 फरवरी को शाम 4। 49 पर समाप्त होगी। वैदिक धर्म में उदयातिथि मान्य होती है इसलिए विश्वकर्मा जयंती आज मनाई जा रही है।
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Vishwakarma Jayanti 2024: आज महूर्त का समय इस प्रकार है –
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार भगवान विश्वकर्मा की पूजा करने से पहले भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना करना बहुत जरूरी होता है। इसलिए इस दिन भगवान विष्णु की पूजा जरूर करें। इसके बाद विश्वकर्मा भगवान की पूजा करें। भगवान की पूजा किसी भी प्रहर की जा सकती है, लेकिन भगवान विश्वकर्मा की पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 9 बजकर 50 मिनट से 12 बजकर 21 मिनट तक है। अगर आप कोई पूजा शुभ मुहूर्त में करते हैं तो आपको शुभ फल की प्राप्ति होती है।
पूजा विधि
- आज सबसे पहले नहाधोकर साफ-सुथरे कपड़े पहनें।
- व्रत रखना चाहते हैं को व्रत का संकल्प लें।
- भगवान विश्वकर्मा की प्रतिमा या तस्वीर की पूजा करें।
- अक्षत, हल्दी, फूल, पान, फल सब भगवान को अर्पित करें।
- इसके बाद समस्त मशीनों, औजारों की पूजा करें।
- विश्वकर्मा भगवान का चालीसा पढ़ें।
- आरती करें, प्रार्थना करें और प्रसाद बांटे।
भगवान विश्वकर्मा की पूजा के दौराव हाथ में फूल और अक्षत लेकर ‘ऊं आधार शक्तपे नमः’, ‘ऊं कूमयि नमः’, ‘ऊं अनंतम नमः’, ‘ऊं पृथिव्यै नमः’, ‘ऊं श्री सृष्टतनया सर्वसिद्धया विश्वकर्माया नमो नमः’ मंत्र का जाप जरूर करें।
विश्वकर्मा चालीसा लिरिक्स (Vishwakarma Jayanti 2024)
॥ दोहा ॥
- श्री विश्वकर्म प्रभु वन्दऊं, चरणकमल धरिध्यान। श्री, शुभ, बल अरु शिल्पगुण, दीजै दया निधान॥
- जय श्री विश्वकर्म भगवाना। जय विश्वेश्वर कृपा निधाना॥
- शिल्पाचार्य परम उपकारी। भुवना-पुत्र नाम छविकारी॥
- अष्टमबसु प्रभास-सुत नागर। शिल्पज्ञान जग कियउ उजागर॥
- अद्भुत सकल सृष्टि के कर्ता। सत्य ज्ञान श्रुति जग हित धर्ता॥
- अतुल तेज तुम्हतो जग माहीं। कोई विश्व मंह जानत नाही॥
- विश्व सृष्टि-कर्ता विश्वेशा। अद्भुत वरण विराज सुवेशा॥
- एकानन पंचानन राजे। द्विभुज चतुर्भुज दशभुज साजे॥
- चक्र सुदर्शन धारण कीन्हे। वारि कमण्डल वर कर लीन्हे॥
- शिल्पशास्त्र अरु शंख अनूपा। सोहत सूत्र माप अनुरूपा॥
- धनुष बाण अरु त्रिशूल सोहे। नौवें हाथ कमल मन मोहे॥
- दसवां हस्त बरद जग हेतु। अति भव सिंधु मांहि वर सेतु॥
- सूरज तेज हरण तुम कियऊ। अस्त्र शस्त्र जिससे निरमयऊ॥
- चक्र शक्ति अरू त्रिशूल एका। दण्ड पालकी शस्त्र अनेका॥
- विष्णुहिं चक्र शूल शंकरहीं। अजहिं शक्ति दण्ड यमराजहीं॥
- इंद्रहिं वज्र व वरूणहिं पाशा। तुम सबकी पूरण की आशा॥
- भांति-भांति के अस्त्र रचाए। सतपथ को प्रभु सदा बचाए॥
- अमृत घट के तुम निर्माता। साधु संत भक्तन सुर त्राता॥
- लौह काष्ट ताम्र पाषाणा। स्वर्ण शिल्प के परम सजाना॥
- विद्युत अग्नि पवन भू वारी। इनसे अद्भुत काज सवारी॥
- खान-पान हित भाजन नाना। भवन विभिषत विविध विधाना॥
- विविध व्सत हित यत्रं अपारा। विरचेहु तुम समस्त संसारा॥
- द्रव्य सुगंधित सुमन अनेका। विविध महा औषधि सविवेका॥
- शंभु विरंचि विष्णु सुरपाला। वरुण कुबेर अग्नि यमकाला॥
- तुम्हरे ढिग सब मिलकर गयऊ। करि प्रमाण पुनि अस्तुति ठयऊ॥
- भे आतुर प्रभु लखि सुर-शोका। कियउ काज सब भये अशोका॥
- अद्भुत रचे यान मनहारी। जल-थल-गगन मांहि-समचारी॥
- शिव अरु विश्वकर्म प्रभु मांही। विज्ञान कह अंतर नाही॥
- बरनै कौन स्वरूप तुम्हारा। सकल सृष्टि है तव विस्तारा॥
- रचेत विश्व हित त्रिविध शरीरा। तुम बिन हरै कौन भव हारी॥
- मंगल-मूल भगत भय हारी। शोक रहित त्रैलोक विहारी॥
- चारो युग परताप तुम्हारा। अहै प्रसिद्ध विश्व उजियारा॥
- ऋद्धि सिद्धि के तुम वर दाता। वर विज्ञान वेद के ज्ञाता॥
- मनु मय त्वष्टा शिल्पी तक्षा। सबकी नित करतें हैं रक्षा॥
- प्रभु तुम सम कृपाल नहिं कोई। विपदा हरै जगत मंह जोई॥
जै जै जै भौवन विश्वकर्मा।
करहु कृपा गुरुदेव सुधर्मा॥ - इक सौ आठ जाप कर जोई।
छीजै विपत्ति महासुख होई॥ - पढाहि जो विश्वकर्म-चालीसा।
होय सिद्ध साक्षी गौरीशा॥ - विश्व विश्वकर्मा प्रभु मेरे।
हो प्रसन्न हम बालक तेरे॥ - मैं हूं सदा उमापति चेरा।
सदा करो प्रभु मन मंह डेरा॥
॥ दोहा ॥
करहु कृपा शंकर सरिस, विश्वकर्मा शिवरूप।
श्री शुभदा रचना सहित, ह्रदय बसहु सूर भूप॥