Rajasthan Assembly Session: ज़ुबैर खान ने संस्कृत में ली शपथ, भाटी को राजस्थानी से रोका
Rajasthan Assembly Session: रामगढ़ से काँग्रेस के विधायक ज़ुबैर खान ने संस्कृत में शपथ ली,कॉंग्रेस के इस मुस्लिम विधायक की चर्चा आज प्रदेश भर में हो रही हैं। वहीं कोलायात से निर्वाचित विधायक अंशुमान सिंह भाटी को राजस्थानी में शपथ लेने से रोका गया। राजस्थानी औपचारिक भाषा न होने के कारण भाटी को दुबारा हिन्दी में शपथ लेनी पड़ी।
Rajasthan Assembly Session: राजस्थान की नवगठित 16वीं विधानसभा का पहला सत्र आज से शुरू हो गया, जहां सभी 199 नवनिर्वाचित विधायकों ने शपथ ली। इस ऐतिहासिक दिन पर, रामगढ़ के विधायक जुबैर खान ने संस्कृत में शपथ लेकर सबका ध्यान आकर्षित किया। वहीं, कोलायत से विधायक अंशुमान सिंह भाटी ने राजस्थानी भाषा में शपथ लेने की कोशिश की, लेकिन प्रोटेम स्पीकर ने उन्हें ऐसा करने से रोक दिया।
Contents
मुख्यमंत्री सहित दोनों उप मुख्यमंत्रीयों ने ली शपथ
आज के इस खास अवसर पर, सबसे पहले मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा, उपमुख्यमंत्री दीया कुमारी और प्रेमचंद बैरवा ने विधानसभा सदस्यता की शपथ ली। इसके बाद अन्य विधायकों के शपथ ग्रहण का सिलसिला जारी रहा।
ज़ुबैर खान ने संस्कृत में ली शपथ
विशेष उल्लेख के लायक है रामगढ़ से कांग्रेस के विधायक जुबैर खान का निर्णय। उन्होंने संस्कृत में शपथ लेकर एक अनूठी पहल की। संस्कृत, जो भारतीय संस्कृति की जननी है, उसमें शपथ लेना न केवल एक पारंपरिक भाषा के प्रति सम्मान दिखाता है बल्कि यह भी दर्शाता है कि भारतीय विरासत के प्रति हमारा लगाव आज भी कितना गहरा है।
भाटी को मायड़ भाषा में शपथ लेने से रोका
इसके विपरीत, कोलायत से विधायक अंशुमान सिंह भाटी का अनुभव थोड़ा अलग था। उन्होंने राजस्थानी भाषा में शपथ लेने का प्रयास किया, लेकिन प्रोटेम स्पीकर ने उन्हें इस बात पर रोक लगा दी कि राजस्थानी भाषा 8वीं अनुसूची में शामिल नहीं है। अंशुमान सिंह ने बाद में हिंदी में शपथ ली।
लंबे समय से राजस्थानी को 8वीं सूची में शामिल करने की मांग
राजस्थानी भाषा के प्रति यह विवाद नया नहीं है। इस भाषा को 8वीं अनुसूची में शामिल करने की मांग लंबे समय से जारी है। इस दिशा में कई आंदोलन भी चले हैं। बाड़मेर की शिव सीट से विधायक रविंद्र सिंह भाटी ने भी पहले प्रोटेम स्पीकर से राजस्थानी भाषा में शपथ लेने की अनुमति मांगी थी, लेकिन उन्हें भी अनुमति नहीं मिली।
यह घटनाक्रम राजस्थान की सांस्कृतिक और भाषाई पहचान के प्रश्न को उजागर करता है। एक ओर जहां संस्कृत को सम्मान मिलता है, वहीं राजस्थानी भाषा के प्रति उदासीनता भी दिखाई देती है। यह एक ऐसा मुद्दा है जिसे राज्य की संस्कृति और पहचान के संदर्भ में समझा जाना चाहिए।
आज के इस विधानसभा सत्र(Rajasthan Assembly Session) में जो घटित हुआ, वह सिर्फ एक औपचारिक कार्यवाही नहीं थी, बल्कि यह भारतीय विविधता और भाषाई समृद्धि का प्रतीक भी था। एक तरफ जहां विधायक जुबैर खान ने संस्कृत में शपथ लेकर पारंपरिक भाषा के प्रति अपनी आस्था दिखाई, वहीं अंशुमान सिंह भाटी ने राजस्थानी भाषा के प्रति अपनी प्रतिबद्धता जताई।