Nitish Kumar : सुशासन बाबू ने फिर मारी पलटी, आरजेडी छोड़ थामेंगे भाजपा का दामन
Nitish Kumar: नीतीश कुमार ने 8वीं बार मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है। रविवार को हुई जनता दल यूनाइटेड की बैठक के बाद नीतीश कुमार ने यह फैसला लिया। 2 साल पहले ही नीतीश कुमार ने महागठबंधन वाली सरकार के मुख्यमंत्री एक रूप में शपथ ली थी।
Nitish Kumar: नीतीश कुमार ने 8वीं बार मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है। रविवार को हुई जनता दल यूनाइटेड की बैठक के बाद नीतीश कुमार ने यह फैसला लिया। 2 साल पहले ही नीतीश कुमार ने महागठबंधन वाली सरकार के मुख्यमंत्री एक रूप में शपथ ली थी।
जदयू की विधायक दल की बैठक के बाद नीतीश कुमार (Nitish Kumar) ने राजभवन जा कर राज्यपाल को अपना इस्तीफा सौंपा। इस इस्तीफे के बाद बिहार में एक नई सरकार बनने का रास्ता साफ हो गया है। नीतीश एक बार फिर से एनडीए में शामिल हो सकते है। 2 साल पहले ही उन्होंने भाजपा से गठबंधन तोड़ कर आरजेडी के साथ मिलकर सरकार बनाई थी।
यह पहली बार नहीं कि नीतीश मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे रहे हो इससे पहले भी वो कई बार इस्तीफा दे चुके है। आरजेडी से गठबंधन तोड़ने के बाद वो नौवीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे। इसके साथ भाजपा के सम्राट सिंह चौधरी या विजय सिन्हा को उप-मुख्यमंत्री का पद दिया जा सकता है।
नीतीश कुमार का महागठबंधन से अलग होना लोकसभा चुनाव से पहले इंडिया गठबंधन को बड़ा झटका साबित होगा। सूत्रों के अनुसार नीतीश कुमार इस्तीफा देने के बाद एक बैठक करेंगे। इस बैठक में नई सरकार को ले कर चर्चा की जाएगी। राज्यपाल को अपना इस्तीफा देने के बाद नीतीश कुमार एक बार फिर से मुख्यमंत्री बनेंगे लेकिन इस बार वो एनडीए के धड़े के नेता होंगे।
अपना इस्तीफा पेश करने के बाद नीतीश शाम 4 बजे नए मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ले सकते है। नीतीश कुमार की अगुवाई में बनने वाली नई सरकार में भाजपा के 2 उप-मुख्यमंत्री हो सकते है। इस प्रकार नीतीश 9वीं बार बिहार के मुख्यमंत्री बनेंगे।
नीतीश कुमार को बिहार में सुशासन बाबू के नाम से जाना जाता है, लेकिन अब इनकी हरकतों की वजह से एक नया नाम “पलटूराम” इनके नाम के आगे जुड़ गया है। आइए जानते है नीतीश बाबू ने कब कब और कितनी बार पलटी मारी
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पहली बार 1994 में जनता दल से अलग हो कर बनाई थी समता पार्टी
नीतीश कुमार (Nitish Kumar) ने पहली बार बेवफाई 1994 में जनता दल से की थी। तब इनके साथ जॉर्ज फर्नांडीज (George Fernandez) थे। यह पहली बार था कि नीतीश कुमार ने किसी पार्टी का साथ छोड़ा था। इसी दौरान 90 के दशक में ही पहली बार नीतीश कुमार भाजपा के साथ आए थे। साल 2005 में नीतीश कुमार ने भाजपा के समर्थन से बिहार में अपनी सरकार बनाई थी।
लेकिन कुछ मनमुटावों के बीच 17 साल का यह रिश्ता 2013 में टूट गया जब नीतीश कुमार ने पीएम मोदी की दावेदारी का विरोध किया। भाजपा द्वारा नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाए जाने पर नीतीश कुमार नाखुश चल रहे थे। इसी नाराजी के बीच उन्होंने भाजपा से नाता तोड़ कर अकेले लोकसभा का चुनाव लड़ा जिसमें उन्हें मात्र 2 सीटों पर जीत हासिल हुई।
Nitish Kumar ने 2014 में थामा नया दामन
लोकसभा चुनावों में हुई तगड़ी हार का जिम्मा लेते हुए नीतीश कुमार ने 2014 में मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। इस हार के बाद उन्होंने जितनराम मांझी (jitanram manjhi) को मुख्यमंत्री की कुर्सी सौंप दी। नीतीश कुमार ने आरजेडी और काँग्रेस का सहारा लेते हुए विधानसभा में अपना बहुमत साबित किया।
Nitish Kumar ने 2017 में फिर से मारी पलटी
एक बार फिर आरजेडी के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए नीतीश बाबू नाराज और हो गए और बेवफाई करने पर उतारू हो गए। 2016 में भाजपा द्वारा लाई गई नोटबंदी और जीएसटी स्कीम की तरफ नीतीश कुमार का झुकाव देखा गया था जो उनके गठबंधन को रास नहीं आ रहा था।
2017 में लालू परिवार का नाम भ्रष्टाचार में आया जिसमें तत्कालीन उप-मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव (Deputy Chief Minister Tejaswi Yadav) का नाम भी शामिल था, जिसके चलते नीतीश ने तेजस्वी को इस्तीफा देने के लिए कहा लेकिन लालू प्रसाद ने इस बात से साफ इंकार कर दिया। इस बात से नाराज नीतीश कुमार (Nitish Kumar ) ने गठबंधन तोड़ने का फैसला कर दिया।
2017 में उन्होंने एक बार फिर से भाजपा का दामन थामा और नीतीश कुमार को फिर से विधायक दल का नेता चुना गया। सुशासन बाबू ने 2 उप मुख्यमंत्रियों के साथ एक बार फिर से शपथ ली। लेकिन यहाँ भी वो लंबा नहीं ठहर पाएं। 2022 में एक बार फिर नीतीश बाबू का मूड स्विंग हो गया।
चौथी बार भाजपा छोड़ महागठबंधन से जुड़े
भाजपा से नाराजगी के बीच नीतीश कुमार ने 2022 में एक बार फिर आरजेडी का दामन थामा। वे भाजपा द्वारा राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर लाने पर नाराज थे। 9 अगस्त 2022 को नीतीश कुमार ने भाजपा से रिश्ता तोड़ का आरजेडी से हाथ मिला दिया। एक बार चाचा भतीजा की जोड़ी की मिसाल देते हुए नीतीश कुमार बिहार के सीएम बन गए।
2024 में मारी पाँचवी पलटी
2 साल पहले हुआ जदयू-राजद का गठबंधन भी लंबा नहीं चल पाया। 28 जनवरी रविवार के दिन नीतीश कुमार ने विधायक दल की बैठक के बाद अपने पद से इस्तीफा दे दिया। अब वो एक बार फिर अपने पुराने साथ भाजपा से हाथ मिलाने जा रहे है। भाजपा के पास 78 विधायक है वहीं जदयू के पास 45 विधायक है। अब नीतीश फिर से भाजपा का पल्लू पकड़ कर अपनी नई सरकार बनाएंगे।
नीतीश कुमार ने भारतीय राजनीति में सबसे अधिक बार दल बदलने का रिकार्ड अपने नाम कर लिया है, वे अब तक 5 बार गठबंधन बदल चुके है वहीं 8 बार सीएम पद की शपथ ले चुके है।