ऑटोताज़ा खबरें

EV Policy In India: अब भारत बनेगा इलेक्ट्रिक वाहन हब, सरकार ने दी मंजूरी;देखें डिटेल

EV Policy In India: केंद्र की नरेंद्र मोदी ने भारत को मैन्युफैक्चरिंग हब के रूप में बढ़ावा देने के लिए इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) नीति को मंजूरी दे दी है। इसके तहत इलेक्ट्रिक वाहन कंपनी और ग्राहकों दोनों को ही बहुत ही ज्यादा फायदा मिलेगा। और ईवी पॉलिसी के जरिये भारत को ईवी के विनिर्माण गंतव्य के रूप में बढ़ावा मिलेगा।

Benefits Of EV Policy In India: भारत की नई ईवी पॉलिसी (EV Policy In India) के तहत यह प्रावधान किया गया है कि अगर कोई विदेशी कंपनी भारत में अपना मैन्युफैक्चरिंग प्लांट लगाना चाहती है तो उसे कम से कम 4,150 करोड़ रुपये का निवेश करना जरूरी होगा। इसके बाद उन्हें शुल्क में रियायतें दी जाएंगी। यह पॉलिसी पॉपुलर ग्लोबल ईवी निर्माताओं द्वारा ई-वाहन क्षेत्र में निवेश आकर्षित करने के लिए तैयार की गई है। केंद्र की मोदी सरकार ने भारत को मैन्युफैक्चरिंग हब के रूप में बढ़ावा देने के लिए एक महत्वपूर्ण पॉलिसी इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) नीति को मंजूरी दे दी है।

WhatsApp Group Join Now

इसके तहत कम से कम 50 करोड़ डॉलर, यानी भारतीय मुद्रा में 4,150 करोड़ रुपये के निवेश के साथ देश में मैन्युफैक्चरिंग प्लांट लगाने वाली कंपनियों को शुल्क में रियायतें दी जाएंगी। वाणिज्य और उद्योग मंत्री के मुताबिक, ईवी पॉलिसी के जरिये भारत को ईवी के विनिर्माण गंतव्य के रूप में बढ़ावा देने और टेस्ला समेत अलग-अलग ग्लोबल ईवी मैन्युफैक्चरर्स से निवेश आकर्षित करने का प्रयास किया गया है।

EV Policy In India के फायदे

इलेक्ट्रिक वीइकल के कंपनी और ग्राहकों को फायदे देने के उद्देश्य से एक नई EV Policy बनाई गई है। इस पॉलिसी के तहत इलेक्ट्रिक वाहनों की मैन्युफैक्चरिंग यूनिट स्थापित करने वाली कंपनियों को कम सीमा शुल्क पर सीमित संख्या में कारों को आयात करने की अनुमति दी जाएगी। इस रियायत के लिए कंपनी को कम से कम 4,150 करोड़ रुपये का निवेश करना जरूरी होगा, जबकि निवेश की कोई अधिकतम सीमा नहीं होगी। मंत्रालय से दिए गए बयान के अनुसार, इंपोर्ट के लिए मंजूर ईवी की कुल संख्या पर शुल्क में दी गई रियायत उस कंपनी की निवेश राशि या पीएलआई योजना के तहत प्रोत्साहन राशि 6,484 करोड़ रुपये में से जो भी कम हो, तक सीमित होगा।

इस नवीन ईवी पॉलिसी के मुताबिक, निवेश अगर 80 करोड़ डॉलर या उससे ज्यादा है तो हर साल ज्यादा से ज्यादा 8,000 की दर से अधिकतम 40,000 ईवी के आयात की अनुमति होगी। इससे वार्षिक आयात सीमा से बची रह गई इकाइयों को आगे बढ़ाया जा सकेगा। योजना दिशानिर्देशों के तहत परिभाषित डीवीए (घरेलू मूल्यवर्धन) और न्यूनतम निवेश मानदंड हासिल न करने की स्थिति में बैंक गारंटी लागू की जाएगी। कंपनी की तरफ से जताई गई निवेश प्रतिबद्धता को छोड़े गए सीमा शुल्क के बदले में बैंक गारंटी से समर्थित होना होगा।

वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय का ईवी पॉलिसी पर बयान

ईवी पॉलिसी पर वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय ने कहा है कि इस ईवी पॉलिसी से भारतीय कस्टमर को लेटेस्ट टेक्नॉलजी तक पहुंच प्रदान की जा सकेगी। यह मेक इन इंडिया पहल को बढ़ावा देगी और ईवी कंपनियों के बीच स्वस्थ प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देकर ईवी परिवेश को मजबूत करेगी। इससे उत्पादन की उच्च मात्रा, अर्थव्यवस्था के विस्तार, उत्पादन की कम लागत और आयात में कटौती, कच्चे तेल की आयात कम होगी, व्यापार घाटा कम होगा, विशेषकर शहरों में वायु प्रदूषण कम होगा और स्वास्थ्य और पर्यावरण पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।

WhatsApp Group Join Now

यह भी पढ़ें: Summer’s Car Care Tips: गर्मियों में इन बातों का रखें ध्यान, कार कभी नहीं होगी खराब

इलेक्ट्रिक वाहन नीति के अनुसार, एक कंपनी को भारत में विनिर्माण इकाइयां स्थापित करने और ई-वाहनों का वाणिज्यिक उत्पादन शुरू करने के लिए तीन साल का समय मिलेगा, और ज्यादा से ज्यादा 5 साल के भीतर 50 फीसदी डोमेस्टिक वैल्यू एडिशन हासिल करना होगा।

Kanisha Mathur

कनिशा माथुर जनपत्रिका में डिजिटल कंटेन्ट प्रोड्यूसर के तौर पर कार्यरत हैं। इन्हें ऑटोमोबाईल,टेक्नॉलजी,एंटरटेनमेंट, एजुकेशन जैसे टॉपिक्स पर लिखने का अनुभव है। इनका उद्देश्य आसान शब्दों में लोगों तक हर जानकारी पहुंचाना है। अपने खाली समय में इन्हें म्यूजिक सुनना, लोगों से बातचीत करना और घूमना-फिरना काफी पसंद है। यह नई चीजें सीखने के लिए हमेशा तैयार रहती है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button