Savitribai Phule Jayanti:नारी मुक्ति आंदोलन की वृत्तिकार, आज देश की पहली महिला शिक्षिका की जयंती है,जानें क्या है उनके संगरक्ष की कहानी
Savitribai Phule Birth Anniversary:सावित्रीबाई फुले ने लड़कियों की शिक्षा के लिए लड़ाई लड़ी और खुद शिक्षित होकर लड़कियों के लिए देश का पहला महिला विद्यालय खोला.
Who is Savitri Bai Phule: सावित्रीबाई फुले की पहचान एक सामाजिक कार्यकर्ता,कवयित्री और दार्शनिक के रूप में की जाती है। हालाँकि,वह देश की पहली महिला शिक्षक भी थीं। महाराष्ट्र के सतारा जिले के एक छोटे से गांव में जन्मी सावित्रीबाई फुले ने लड़कियों की शिक्षा के लिए लंबी लड़ाई लड़ी और देश में पहला महिला स्कूल खुद खोला। जब लड़कियों की शिक्षा के लिए आवाज उठाई गई तो उस समय लड़कियों की शिक्षा पर कई तरह की पाबंदियां थीं। ऐसे में लड़कियों और महिलाओं को शिक्षा का अधिकार दिलाने के लिए उन्हें काफी संघर्ष करना पड़ा । आज सावित्रीबाई फुले की जयंती है,इस मौके पर आइए आपको बताते हैं महिला मुक्ति आंदोलन की प्रणेता सावित्रीबाई फुले के बारे में।
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बचपन से ही पढ़ाई की ओर रुझान
सावित्रीबाई फुले लक्ष्मी और खंडोजी नेवाशे पाटिल की सबसे छोटी बेटी थीं। उनका जन्म एक दलित परिवार में हुआ था। उस समय दलित,पिछड़े वर्ग और महिलाएं शिक्षा से वंचित थे। सावित्रीबाई फुले बचपन से ही पढ़ना चाहती थीं। कहा जाता है कि एक दिन वह अंग्रेजी किताब पढ़ने की कोशिश कर रही थीं। इसी दौरान उनके पिता ने उन्हें देख लिया और डांटते हुए किताब फेंक दी,लेकिन सावित्रीबाई पर उनकी डांट का बिल्कुल भी असर नहीं हुआ। तभी उन्होंने अपनी शिक्षा जारी रखने का मन बना लिया।
विवाह के बाद की पढ़ाई
नौ साल की उम्र में सावित्रीबाई फुले का विवाह ज्योतिराव फुले से हो गया। जब उनका विवाह हुआ तब वह अनपढ़ थीं और उनके पति ज्योतिराव तीसरी कक्षा में पढ़ते थे। जब सावित्रीबाई ने शिक्षा की इच्छा व्यक्त की,तो ज्योतिराव ने उन्हें अनुमति दे दी। इसके बाद उन्होंने पढ़ाई शुरू कर दी। हालाँकि,जब वह स्कूल जाती थी तो लोग उन पर पत्थर,कूड़ा-कचरा और कीचड़ फेंकते थे। लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी और हर चुनौती का बहादुरी से सामना किया।
देश का पहला बालिका स्कूल खोला
सावित्रीबाई फुले ने न केवल अपनी पढ़ाई की बल्कि अपने जैसी कई लड़कियों को भी शिक्षा के लिए प्रेरित किया। लड़कियों के बीच शिक्षा के लिए संघर्ष को रोकने के लिए सावित्रीबाई फुले ने अपने पति के सहयोग से वर्ष 1848 में पुणे,महाराष्ट्र में पहला गर्ल्स स्कूल स्थापित किया और उसकी प्रिंसिपल बनीं। यही कारण है कि उन्हें देश की पहली महिला शिक्षिका का खिताब दिया जाता है। उनके काम के लिए उन्हें ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा सम्मानित किया गया था।
पति के साथ मिलकर महिलाओं के अधिकारों के लिए लड़ीं
उन्होंने अपने पति के साथ भारत में महाराष्ट्र में महिलाओं के अधिकारों को बेहतर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई । उन्होंने सती प्रथा उन्मूलन सहित कई आंदोलनों में एक साथ भाग लिया । शिक्षा के साथ-साथ उन्होंने महिलाओं के अधिकारों की भी वकालत की । महिला मुक्ति आंदोलन की नेता सावित्रीबाई फुले ने जाति-आधारित भेदभाव को खत्म करने के लिए कड़ा संघर्ष किया और समाज में हाशिए पर रहने वाली महिलाओं को अन्याय के खिलाफ आवाज उठाना सिखाया । 10 मार्च 1897 को प्लेग के कारण उनका निधन हो गया ।